Gulamgiri

Gulamgiri
ISBN-10
9352296400
ISBN-13
9789352296408
Category
Dalits
Pages
139
Language
Hindi
Published
2017
Publisher
Vani Prakashan
Author
Jotīrāva Govindarāva Phule

Description

जिस दिन किसी व्यक्ति को दास बना लिया जाता है, उसी दिन से उसके आधे सदगुण गायब हो जाते हैं। -होमर शासन तन्त्र की जो व्यवस्था भारत में लागू है, वह जनता के चरित्र उत्थान की दृष्टि से नहीं बनायी गयी है। वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था ने कुछ व्यक्तियों को मात्र अधिक शिक्षित करने के अलावा कुछ नहीं किया है जबकि बहुसंख्य वैसे ही अनभिज्ञ बने हैं और उनकी निर्भरता कुछ शिक्षित व्यक्तियों की दया पर है। असल में, यह ब्रह्मण प्रभुत्व वाली अनैतिक नीति का ही विस्तार है जिसके स्वरूप भारतीय सभ्यता का विकास अवरुद्ध रहा। कोई अन्य कारण इसके लिए जिम्मेदार नहीं है।“ -कर्नल जी.जे. हैले ” ब्रह्मम्णो को विचित्र साधन उपलब्ध कराये युग बीत गये। इन ब्रह्मम्णो को उपकारी की श्रेणी में शामिल करने में संवेदनशील विद्वान भी संकोच करेंगे । ये ब्राहमण हजारों वर्ष पुरानी विद्या के विशाल भण्डार पर दम्भ करते हैं। इन्होंने ढेर सारी सम्पदा अर्जित कर ली है। उन्हें असीम अधिकार प्राप्त हैं। परन्तु इन सबका क्या लाभ? उन्होंने अत्यधिक नीच अन्धविश्वासों को पनपाया है। अपने लिए आमोद-प्रमोद तथा सम्पत्ति संग्रह के भरपूर अवसर प्राप्त किये-अपनी शक्ति और संयोग के सहारे। संसार में एक सर्वविदित विरोधात्मक व्यवस्था को कायम रखा। उनकी इस दुरुपयोगी शक्ति के क्षीण होने पर ही हम राष्ट्रीय पुनर्जीवन की महान उपलब्धि की आशा कर सकते हैं।“ -मीड के ‘सिपॉय रिवोल्ट’ से

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